मधुशाला पर आधारित #व्यंग्य #पैरौडी
मधुशाला पर आधारित #व्यंग्य #पैरौडी मदिरालय जाने को घर से की तर्ज़ पर 👇 पोल बूथ जाने को घर से निकला मत देने वाला मत किसको दूँ किसको मत दूँ सोच रहा भोलाभाला। अलग अलग रंग के झंडे हैं एक मगर सबका नारा हर प्रत्याशी कुर्सी चाहे सत्ता चाहे मतवाला। मदिरालय जाने को घर से की तर्ज़ पर 👇 शाम ढले जब टी वी खोले, मध्यमवर्गी घरवाला, न्यूज़ देखने को वह आतुर, गल्प करे एंकरबाला, है विकल्प उसके हाथों में ले रिमोट वह सोच रहा टी आर पी से सब संचालित, क्या जाने भोला भाला। सुन कल-कल छल-छल की तर्ज़ 👇 सुन यू पी में बबुआ ओ बुआ, हमप्याला हमनिवाला, सुन साईकिल चलती,हाथी संग, क्या है ये गड़बड़ झाला। बस सत्ता तक, और नहीं, कुछ ही महीने संग चलना है, राजनीति का मन्त्र पुराना, गठबंधन ढीला ढाला। लालायित अधरों से जिसने की तर्ज़ पर 👇 लालच में आ कर के जिसने, जनता को ठग ना डाला, कुरसी पर बैठेगा कैसे, वो सज्जन भोला भाला। धर्म जाति का गर न अब तक, मारक इस्तेमाल किया...