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जनवरी, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मधुशाला पर आधारित #व्यंग्य #पैरौडी

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मधुशाला पर आधारित #व्यंग्य #पैरौडी मदिरालय जाने को घर से की तर्ज़ पर 👇 पोल बूथ जाने को घर से निकला मत देने वाला मत किसको दूँ किसको मत दूँ सोच रहा भोलाभाला। अलग अलग रंग के झंडे हैं एक मगर सबका नारा हर प्रत्याशी कुर्सी चाहे सत्ता चाहे मतवाला। मदिरालय जाने को घर से की तर्ज़ पर 👇 शाम ढले जब टी वी खोले, मध्यमवर्गी घरवाला, न्यूज़ देखने को वह आतुर, गल्प करे एंकरबाला, है विकल्प उसके हाथों में ले रिमोट वह सोच रहा टी आर पी से सब संचालित, क्या जाने भोला भाला। सुन कल-कल छल-छल की तर्ज़ 👇 सुन यू पी में बबुआ ओ बुआ, हमप्याला हमनिवाला, सुन साईकिल चलती,हाथी संग, क्या है ये गड़बड़ झाला। बस सत्ता तक, और नहीं, कुछ ही महीने संग चलना है, राजनीति का मन्त्र पुराना, गठबंधन ढीला ढाला। लालायित अधरों से जिसने की तर्ज़ पर 👇 लालच में आ कर के जिसने, जनता को ठग ना डाला, कुरसी पर बैठेगा कैसे, वो सज्जन भोला भाला। धर्म जाति का गर न अब तक, मारक इस्तेमाल किया

हिंदी कवि हरिवंश राय बच्चन की अमर कृति "मधुशाला" भाग 4.

हिंदी कवि हरिवंश राय बच्चन की अमर कृति "मधुशाला" भाग 4.

कभी कभी यों भी हमने... निदा फाजली के इस कलाम को जगजीत सिंह ने अपनी धुन से संवारा है.

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कभी कभी यों भी हमने... निदा फाजली के इस कलाम को जगजीत सिंह ने अपनी धुन से संवारा है. कभी कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है जिन बातों को ख़ुद नहीं समझे औरों को समझाया है हमसे पूछो इज़्ज़त वालों की इज़्ज़त का हाल कभी हमने भी इस शहर में रह कर थोड़ा नाम कमाया है उससे बिछड़े बरसों बीते लेकिन आज न जाने क्यों आँगन में हँसते बच्चों को बे-कारण धमकाया है कोई मिला तो हाथ मिलाया कहीं गए तो बातें की घर से बाहर जब भी निकले दिन भर बोझ उठाया है

कवि हरिवंश राय बच्चन की अमर कृति मधुशाला भाग 3

मधुशाला भाग 3.

कवि हरिवंश राय बच्चन की अनमोल कृति 'मधुशाला; भाग २.

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गरीब उद्योगपतियों को नकतालीस प्रतिशत आरक्षण.

सदन की पहली मंजिल के सभी सदस्य बिल से पास हए. कुछ उसके अन्दर घुसे बिना ही पास हो गए. ऊपरी मंजिल के सदन में चर्चा जारी है की क्या मोटे सदस्य इस बिल में घुस पाएँगे? कुछ मोटे सदस्यों ने बिल में घुसने का प्रयत्न किया. इन में से ज्यादातर सदस्य इस बिल में घुस कर बाहर निकल गए. उन्होंने कहा कि बाप रे! बिल में घुसकर ही पता चलता है की कितना सफोकेशन (दमघोंटू वातावरण ) है. उनका कहना था की बात यदि गरीब उद्योगपतियों की न होती तो इस बिल के दमघोंटू वातावरण के कारण वो इस बिल से गुजरने का यत्न कभी न करते. बिल बनाने वाले सदस्यों ने कहा की बिल बनाना ज़रूरी था, इसलिए बना दिया,जैसा बना है वैसा ही ठीक है.अभी कुछ सदस्य बिल से गुजरने बाकी हैं परन्तु उनका कहना है कि जैसे तैसे वो भी गुज़र ही जाएँगे.

माइक्रोवेव खरीद घोटाला...

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माइक्रोवेव खरीद घोटाला. इस सामूहिक परिवार की कमान कुछ समय से ताउजी के पास है. घर की सामान्य बैठक में माताजी ने बताया कि वो पिछले कई दिनों से किचन के लिए एक माइक्रोवेव चाहती हैं. छोटे चाचा ने बताया कि इस इस विषय पर दस्सू इलेक्ट्रॉनिक्स वालों से बात चल ही रही थी कि घर की कमान ताऊजी के पास चले गयी,वैसे दस्सू इलेक्ट्रॉनिक्स वालों ने पाँच हज़ार का कोटेशन दिया था और यह कि इन्सटौल करने की बात दामाद जी से तय हुई थी. ताऊजी ने बताया कि दस्सू इलेक्ट्रॉनिक्स वालों से सौदा तय हो गया है.माइक्रोवेव बस आता ही है. छोटे चाचा ने ताऊजी से पूछा कि कितने में सौदा तय हुआ और इन्सटौल कौन करेगा. ताऊजी ने बताया कि रेट नहीं खोला जा सकता, दस्सू इलेक्ट्रॉनिक्स वालों ने मना किया है.उन्होंने बताया कि हमें दस्सू इलेक्ट्रॉनिक्स वालों ने सस्ते में माइक्रोवेव देने का वादा किया है और अगर रेट खुल गया तो दस्सू इलेक्ट्रॉनिक्स वालों को सभी ग्राहकों को इस ही रेट में देना पडेगा.यह भी बताया कि इन्सटौल करने मौसी का बेटा आ रहा है. बड़े चाचा ने कहा कि चूँकि माइक्रोवेव सामूहिक कमाई से खरीदा जाना है इसलिए ताऊजी को रेट

कवि हरिवंश राय बच्चन की महान कृति 'मधुशाला'.भाग १.