मकसद.
मेरा मकसद है मेरे राज पर न आँच आए,
ये और बात मेरी बात सही हो कि न हो.
जो हैं गरीब तो सदियों से मसीहा भी हैं,
ये और बात है कंधों पे सलीब हो कि न हो.
रोज़ी,रोटी,मकान,कपड़ा कागज़ों पर है,
ये और बात है हमको नसीब हो कि न हो.
फिज़ा में तैर रही एक बुज़ुर्ग बीन की धुन,
ये और बात है भैसों पे असर हो कि न हो.
राज लोगों का है लोगों के लिए लोगों से,
ये और बात है लोगों की क़द्र हो कि न हो.
अच्छी लगी नज़्म .
जवाब देंहटाएंwow harsh..bahut samay baad..last lines are so apt..logon ki kadr ho ya na ho.. please keep writing, i dont like to see you in hibernation
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