सतह पर.


सतह पर.

तुम, जो दिखते भी नहीं हो,
हावी रहते हो मुझपर.
मुझपर, जो दिखता है.
कितनी आसानी से बदल जाते हो तुम.
दिल बन कर, करवा लेते हो वो,
जो अतार्किक है.
और कभी दिमाग बन कर,
करवाते हो वह सब,
जो तार्किक तो है,
परन्तु निंदनीय.
और सजा भोगता हूँ मैं.
मैं, जो दिखता है,
सतह पर.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक्त के पाँव का वो आबला.

और है.