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बरसों लगे.......

आदमी को जानवर से आदमी बन जाने में बरसों लगे. लेकिन अब भी उसे आदमी से जानवर बन जाने में लगता है एक पल.

बेअसर है.

हौसला अफज़ाई करने वाले सब दोस्तों के नाम. तुम्हारा तोलने का है जो आला, उस आले में मेरा वज़न सिफ़र है. बायस-ए-हाल-ए-दुनिया किससे पूछें, यहाँ मालिक मकाँ ही दरबदर है. साथ उसके हुआ शहर का मुंसिफ, क़ातिल-ए-शहर को अब किसका डर है. लिए फ़िरता है परचम दोस्ती का, घाव से आशना उसका जिगर है. यहाँ सब जूझ रहे दौर-ए-गम से, वहाँ हालात की उसको फिकर है. ..........यहाँ तक पढ़ा तो आगे भी हिम्मत कीजिये.......... मेरी दीवानगी हद से है गुज़री, तुम्हारा तंज़ मुझपर बेअसर है. यहाँ मुस्कान की दुनिया है कायल, यहाँ जज़्बात की किसको फ़िकर है.

तुमको और मुझको.

इंसानियत के नाते,अपनी ख़ुदी से प्यार, तुमको भी बेशुमार है,मुझको भी बेशुमार. चोर और लुटेरे में एक को चुन लें, तुमको भी इख़्तियार है, मुझको भी इख़्तियार. राज करने वाले,आला दिमाग़ पर, तुमको भी ऐतबार है, मुझको भी ऐतबार. हम पे चोट कुछ नहीं,मैं पे एक वार, तुमको भी नागवार है,मुझको भी नागवार. हालात को सुधारने आएगा मसीहा, तुमको भी इन्तज़ार है,मुझको भी इन्तज़ार.