बदगुमान कहे.
अता हुआ है आदमी को ऐसा मुस्तक्बिल,
पा जाये सब, मगर पा कर भी परेशान रहे.
फ़िक्र में डूब रहे सब अदीब-ओ-दानिशमन्द,
एक ग़ाफ़िल को मगर पूरा इत्मिनान रहे.
कहर देखा तेरा, तेरी नवाज़िशें देखीं,
कोइ दो चार दिन हम भी तेरे मेहमान रहे.
कोई तो सीख गया चन्द किताबी बातें.
किसी के हिस्से ज़िन्दगी के इम्तिहान रहे.
आज जी आया जी भर के जी की बात कहूँ,
जी में आए तो मुझे कोई बदगुमान कहे.
पा जाये सब, मगर पा कर भी परेशान रहे.
फ़िक्र में डूब रहे सब अदीब-ओ-दानिशमन्द,
एक ग़ाफ़िल को मगर पूरा इत्मिनान रहे.
कहर देखा तेरा, तेरी नवाज़िशें देखीं,
कोइ दो चार दिन हम भी तेरे मेहमान रहे.
कोई तो सीख गया चन्द किताबी बातें.
किसी के हिस्से ज़िन्दगी के इम्तिहान रहे.
आज जी आया जी भर के जी की बात कहूँ,
जी में आए तो मुझे कोई बदगुमान कहे.
कहर देखा तेरा, तेरी नवाज़िशें देखीं,
जवाब देंहटाएंकोइ दो चार दिन हम भी तेरे मेहमान रहे.
कोई तो सीख गया चन्द किताबी बातें.
किसी के हिस्से ज़िन्दगी के इम्तिहान रहे.
bahut achhee panktiyaan...
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (25/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
pooja jee vandana jee bahut shukriyaa.
जवाब देंहटाएंकोई तो सीख गया चन्द किताबी बातें.
जवाब देंहटाएंकिसी के हिस्से ज़िन्दगी के इम्तिहान रहे.
वाह क्या बात कही.....
बहुत सुन्दर ग़ज़ल !!!
dhanyawad ranjana jee.
जवाब देंहटाएंsundar gazal kahi hai aapne badhai
जवाब देंहटाएंvery beautiful poetry...especially the lines...
जवाब देंहटाएंकोई तो सीख गया चन्द किताबी बातें.
किसी के हिस्से ज़िन्दगी के इम्तिहान रहे.
and
अता हुआ है आदमी को ऐसा मुस्तक्बिल,
पा जाये सब, मगर पा कर भी परेशान रहे.
...loved it
thanks bhumika.
जवाब देंहटाएंjaykrishna tushaar ji bahut shukriyaa.
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
जवाब देंहटाएंहर्ष जी
जवाब देंहटाएंहर शेर बहुत कुछ कहता हुआ ....
.
फ़िक्र में डूब रहे सब अदीब-ओ-दानिशमन्द,
एक ग़ाफ़िल को मगर पूरा इत्मिनान रहे.
बहुत सुन्दर.....ignorence is bliss
कोई तो सीख गया चन्द किताबी बातें.
किसी के हिस्से ज़िन्दगी के इम्तिहान रहे.
और वही ज़िंदगी को समझ भी पाया जो गुज़र गया इम्तिहानों से..किताबों में पढ़ कर कहाँ ज़िंदगी के मायने मिलते हैं
बहुत सुन्दर कहा है आपने ...