बिक नहीं सकता जो, उस की क्या कीमत भाव लगे जिसका,फिर उस का मोल क्या। जूं भी न रेंगेगी चीखों के बावजूद, बहरों के मुहल्ले में,मुनादी का ढ़ोल क्या। दिमाग़ कैसे मापे, गहराई...
इश्क़ को जिसकी जुस्तजू हर दम उस मुलाक़ात का बहाना हूँ। कहाँ लायक हूँ मैं ज़माने के रस्म-ए-दुनिया को बस निभाना हूँ, मैं अदीबों के साथ रहता हूँ सुखनसाज़ी से आशिकाना हूँ। अदीब=लेखक...